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Girija Kumar Mathur: ‘तार सप्तक’ के कवि गिरिजाकुमार माथुर का जीवन परिचय
Girija Kumar Mathur Biography in Hindi : गिरिजाकुमार माथुर आधुनिक हिंदी साहित्य के समादृत कवि, नाटककार और समालोचक थे। इसके साथ ही वे प्रयोगवाद के प्रवर्तक सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’द्वारा संपादित प्रथम ‘तार सप्तक’ (Taar Saptak) के प्रतिनिधि कवियों में से एक थे। उन्होंने हिंदी साहित्य की अनेक विधाओं में साहित्य सृजन करने के साथ ही वर्ष 1943 से आकाशवाणी दिल्ली के कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दी। वहीं, हिंदी साहित्य में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें ‘शलाका सम्मान’, ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ और वर्ष 1993 में ‘व्यास सम्मान’ से सम्मानित किया गया था।
आपको बता दें कि गिरिजाकुमार माथुर की साहित्यिक कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी गिरिजाकुमार माथुर का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
आइए अब हम प्रसिद्ध कवि गिरिजाकुमार माथुर का जीवन परिचय (Girija Kumar Mathur Biography in Hindi) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
| नाम | गिरिजाकुमार माथुर (Girija Kumar Mathur) |
| जन्म | 22 अगस्त, 1919 |
| जन्म स्थान | अशोक नगर, ग्वालियर जिला, मध्य प्रदेश |
| शिक्षा | एम.ए. (अंग्रेजी), एलएलबी |
| पिता का नाम | देवीचरण माथुर |
| माता का नाम | लक्ष्मीदेवी |
| पत्नी का नाम | शकुंत माथुर |
| पेशा | कवि. लेखक, नाटककार व सरकारी वरिष्ठ अधिकारी |
| भाषा | हिंदी |
| साहित्य काल | आधुनिक काल |
| विधाएँ | नाटक, कविता, आलोचना |
| पुरस्कार एवं सम्मान | साहित्य अकादमी पुरस्कार, शलाका सम्मान व व्यास सम्मान |
| निधन | 10 जनवरी, 1994 नई दिल्ली |
मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था जन्म – Girija Kumar Mathur Biography in Hindi
तार सप्तक के प्रतिष्ठित कवि गिरिजाकुमार माथुर का जन्म 22 अगस्त, 1919 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के अशोक नगर में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘देवीचरण माथुर’ था जो कि पेशे से स्कूल में अध्यापक थे तथा साहित्य एवं संगीत के शौकीन थे। बताया जाता है कि उनके पिता भी कविता लिखा करते थे जिसका प्रभाव उनपर भी पड़ा। जबकि उनकी माता का नाम ‘लक्ष्मीदेवी’ था जो कि मालवा, मध्य प्रदेश की रहने वाली एक शिक्षित महिला थीं।
गिरिजाकुमार माथुर की शिक्षा
गिरिजाकुमार माथुर की प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर में ही हुई थी। वहीं, स्थानीय कॉलेज से इण्टरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने वर्ष 1935 में ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (अब ‘महारानी लक्ष्मी बाई कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय’) से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। फिर वे उच्च अध्ययन के लिए लखनऊ आ गए और वर्ष 1941 में लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए किया। इसके बाद उन्होंने एलएलबी की परीक्षा भी पास की।
कवयित्री शकुंत माथुर से हुआ विवाह
वर्ष 1940 में गिरिजाकुमार माथुर का विवाह ‘शकुंत माथुर’ (Shakunt Mathur) से हुआ था। बता दें कि शकुंत माथुर ‘अज्ञेय’ द्वारा संपादित दूसरे तार सप्तक की पहली महिला कवयित्री रहीं हैं।
विस्तृत रहा कार्यक्षेत्र
गिरिजाकुमार माथुर ने आकाशवाणी दिल्ली के कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था। वे लोकप्रिय रेडियो चैनल ‘विविध भारती’ (Vividh Bharati) से सम्बद्ध रहे। इसके अलावा उन्होंने विदेश में हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार किया। बताया जाता है कि वे ‘संयुक्त राष्ट्र’ (United Nations) के अंतर्गत न्यूयॉर्क में हिंदी पदाधिकारी के रूप में अमरीका गए थे। बाद में वह दूरदर्शन के उप-महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद पूर्ण रूप से साहित्य सृजन में जुट गए।
कवित्त-सवैया लेखन से हुआ साहित्य में पर्दापण
माना जाता है कि गिरिजाकुमार माथुर का साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण ब्रजभाषा के परंपरागत कवित्त-सवैया लेखन से हुआ था। शुरुआत में वे केवल कविता ही लिखते थे लेकिन बाद में उन्होंने कई विधाओं में लेखन कार्य किया। वर्ष 1941 में प्रकाशित ‘मंजीर’ काव्य-संग्रह से उनकी काव्य यात्रा का आरंभ माना जाता है। इस काव्य संग्रह की भूमिका उन्होंने विख्यात कवि ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ से लिखवायी थी।
प्रथम ‘तार सप्तक’ के कवि
क्या आप जानते हैं कि प्रथम तार सप्तक एक काव्य-संग्रह है जिसका संपादन वर्ष 1943 में अज्ञेय जी ने किया था। यहीं से हिंदी साहित्य में “प्रयोगवाद” का आरंभ माना जाता है। प्रथम तार सप्तक के कवियों में सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’के अलावा ‘गिरजाकुमार माथुर,गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’, ‘प्रभाकर माचवे’, ‘भारत भूषण अग्रवाल’, ‘रामविलास शर्मा’ और ‘नेमिचंद्र जैन’ शामिल थे।
गिरिजाकुमार माथुर की साहित्यिक रचनाएँ – Girija Kumar Mathur Ki Rachnaye
गिरिजाकुमार माथुर ने आधुनिक हिंदी साहित्य में काव्य सृजन के साथ-साथ आलोचना और नाटक भी लिखे थे। इसके साथ ही उन्होंने साहित्यिक पत्रिका ‘गगनांचल’ का भी कुछ समय तक संपादन किया था। यहाँ गिरिजाकुमार माथुर का जीवन परिचय (Girija Kumar Mathur Recapitulation in Hindi) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
काव्य-संग्रह
- मंजीर
- नाश और निर्माण
- धूप के धान
- शिलापंख भ्रमकीले
- जो बंध नहीं सका
- भीतरी नदी की यात्रा
- साक्षी रहे वर्तमान
- कल्पांतर
- मैं वक्त के सामने हूं
- मुझे और अभी कहना है
- पृथ्वीकल्प
- छाया मत छूना मन
नाटक
आलोचना
- नयी कविता: सीमाएँ और सम्भावनाएँ
यह भी पढ़ें – गिरिजाकुमार माथुर की वो रचनाएं, जो आपका परिचय साहित्य के सौंदर्य से करवाएगी
पुरस्कार एवं सम्मान
गिरिजाकुमार माथुर (Girija Kumar Mathur Narration in Hindi) को आधुनिक हिंदी साहित्य में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- गिरिजाकुमार माथुर को वर्ष 1991 में काव्य-संग्रह “मै वक्त के हूं सामने” के लिए ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
- इसी काव्य संग्रह के लिए उन्हें वर्ष 1993 में के. के. बिरला फाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित ‘व्यास सम्मान’ (Vyas Samman) प्रदान किया गया।
- हिंदी अकादमी दिल्ली द्वारा उन्हें ‘शलाका सम्मान’ (Shalaka Samman) से पुरस्कृत किया जा चुका है।
दिल्ली में हुआ निधन
गिरिजाकुमार माथुर ने कई दशकों तक हिंदी साहित्य में अनुपम कृतियों का सृजन किया था। किंतु 10 जनवरी 1994 को 74 वर्ष की आयु में इस मूर्धन्य कवि ने इस संसार को अलविदा कह दिया। लेकिन आज भी वे अपनी लोकप्रिय रचनाओं के लिए जाने जाते हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ गिरिजाकुमार माथुर का जीवन परिचय (Girija Kumar Mathur Biography in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
FAQs
उनका जन्म 22 अगस्त, 1919 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के अशोक नगर में हुआ था।
वे आधुनिक काल के प्रतिष्ठित कवि थे।
मंजीर, गिरिजाकुमार माथुर का लोकप्रिय काव्य संग्रह है।
धूप के धान, गिरीजकुमार माथूर जी की रचना है।
मंजीर, नाश और निर्माण, धूप के धान, शिलापंख भ्रमकीले और जो र्बंध नहीं सका उनके प्रमुख काव्य संग्रह हैं।
10 जनवरी, 1994 को नई दिल्ली में गिरिजाकुमार माथुर का 74 वर्ष की आयु में निधन हुआ था।
आशा है कि आपको ‘तार सप्तक’ के कवि गिरिजाकुमार माथुर का जीवन परिचय (Girija Kumar Mathur Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।